भारत में त्योहारों का अपना एक अलग ही महत्व है। इन्हीं में से एक प्रमुख और बेहद लोकप्रिय त्योहार है गणेश चतुर्थी। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भक्तगण विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा करते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि, बुद्धि और सफलता का वरदान देने वाला मानते हैं। खासकर महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी 2025 कब है? (Ganesh Chaturthi 2025 Date)
हिंदू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। साल 2025 में यह पर्व शनिवार, 30 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन लोग घरों में और पंडालों में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करते हैं और दस दिनों तक लगातार पूजा-पाठ, भजन और आरती करते हैं। दसवें दिन गणेश विसर्जन होता है।
गणेश चतुर्थी 2025 शुभ मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)
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गणेश स्थापना मुहूर्त: सुबह 11:05 बजे से दोपहर 01:30 बजे तक
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अभिजीत मुहूर्त: 12:00 बजे से 12:50 बजे तक
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व्रत का समय: सूर्योदय से चतुर्थी तिथि समाप्ति तक
(ध्यान दें: अलग-अलग शहरों और पंचांग के अनुसार मुहूर्त में हल्का अंतर हो सकता है।)
गणेश चतुर्थी का महत्व (Ganesh Chaturthi Significance)
गणेश जी को बुद्धि, ज्ञान, सफलता और सौभाग्य का देवता माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गणपति की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। साथ ही सभी बाधाएँ दूर होती हैं। यही कारण है कि उन्हें विघ्नहर्ता कहा जाता है।
महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का खास महत्व है। यहाँ बड़े-बड़े पंडालों में भव्य मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं। लालबाग का राजा और सिद्धिविनायक मंदिर इस पर्व के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध हैं।
गणेश चतुर्थी की पूजा विधि (Ganesh Chaturthi Puja Vidhi)
गणेश चतुर्थी 2025 पर पूजा करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और घर को स्वच्छ करें।
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पूजा स्थल पर लाल कपड़ा बिछाएँ और उस पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
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गणपति जी को सिंदूर, दुर्वा (21 पत्तियाँ), लाल फूल और मोदक अर्पित करें।
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दीप जलाएँ और धूप-दीप से आरती करें।
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गणेश जी को मोदक और लड्डू का भोग लगाएँ क्योंकि यह उनका प्रिय प्रसाद है।
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गणपति अथर्वशीर्ष या गणेश मंत्र का जाप करें।
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पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्य आरती में शामिल हों।
गणेश चतुर्थी व्रत (Ganesh Chaturthi Vrat)
इस दिन व्रत रखने की परंपरा भी है। व्रती दिनभर गणपति का ध्यान करता है और रात में भोग लगाने के बाद ही अन्न ग्रहण करता है। व्रत के दौरान केवल फल, दूध, और पूजा का प्रसाद खाया जाता है।
गणेश चतुर्थी की कथा (Ganesh Chaturthi Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने उबटन से गणेश जी की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण फूँक दिए। उन्होंने गणेश जी को बाहर द्वार पर खड़ा कर दिया और कहा कि जब तक मैं अंदर हूँ, किसी को भी प्रवेश न करने देना।
उसी समय भगवान शिव आए और अंदर जाना चाहा, लेकिन गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। इससे क्रोधित होकर शिवजी ने उनका सिर काट दिया। जब माता पार्वती को यह बात पता चली तो वह अत्यंत दुखी हुईं और रोने लगीं।
माता को शांत करने के लिए भगवान शिव ने गणेश जी के शरीर पर हाथी का सिर लगाया और उन्हें जीवनदान दिया। तभी से उन्हें गणपति, विनायक और गजानन कहा जाने लगा।
गणेश चतुर्थी 2025: पंडालों और जुलूस का नजारा
गणेश चतुर्थी सिर्फ धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सांस्कृतिक उत्सव भी है। इस दिन से लेकर दसवें दिन तक हर जगह उत्साह और उमंग देखने को मिलता है। जगह-जगह विशाल पंडाल सजाए जाते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और भक्तों का तांता लगा रहता है।
विशेषकर मुंबई और पुणे में यह त्योहार अद्भुत नजारा पेश करता है। ढोल-ताशों की धुन पर भक्त गणपति बप्पा की आराधना करते हैं। विसर्जन के समय सड़कों पर निकलने वाले जुलूस पूरे माहौल को भक्तिमय बना देते हैं।
गणेश चतुर्थी 2025: घर पर गणपति स्थापना का महत्व
आजकल लोग घर पर छोटे गणपति स्थापित करते हैं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और परिवार के बीच एकता बढ़ती है। गणेश चतुर्थी 2025 पर आप पर्यावरण का ध्यान रखते हुए पर्यावरण-हितैषी गणेश मूर्ति (Eco-Friendly Ganesha) स्थापित कर सकते हैं।
गणेश चतुर्थी और ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गणेश चतुर्थी पर गणपति की उपासना करने से बुध ग्रह मजबूत होता है। यह शिक्षा, बुद्धि और व्यापार में सफलता प्रदान करता है। यदि किसी की कुंडली में बुध दोष है, तो इस दिन व्रत और पूजा करने से लाभ मिलता है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2025 पूरे भारत में उल्लास और आस्था का पर्व है। इस दिन श्री गणेश जी की विधिवत पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का वास होता है। चाहे घर पर गणपति की स्थापना करें या पंडाल में दर्शन, गणेश चतुर्थी का महत्व सबके लिए समान है।