आधार कार्ड से पैसों की चोरी का नया खेल: बिना उंगली लगाए उड़ रही रकम
देशभर में एक चौंकाने वाला डिजिटल फ्रॉड तेजी से फैल रहा है। पीड़ितों के बैंक खातों से हजारों-लाखों रुपये ऐसे गायब हो रहे हैं जैसे किसी ने रातों-रात तिजोरी खाली कर दी हो – और सबसे हैरान करने वाली बात, इसमें न तो OTP डाला गया, न पासवर्ड, और न ही असली अंगूठा लगाया गया।
यह धोखाधड़ी AEPS (Aadhaar Enabled Payment System) के ज़रिए की जा रही है। यह सिस्टम सामान्य तौर पर बैंकिंग को आसान बनाने के लिए बनाया गया था, लेकिन साइबर अपराधियों के लिए यह एक सोने की खान साबित हो रहा है।
AEPS – सुविधा या जोखिम?
AEPS के जरिए कोई भी व्यक्ति अपने आधार नंबर और बायोमेट्रिक पहचान (जैसे फिंगरप्रिंट) देकर माइक्रो-ATM या बैंक मिटर से पैसा निकाल सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह सुविधा बेहद लोकप्रिय है क्योंकि इसके लिए बैंक जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
लेकिन इस प्रक्रिया में एक खामी है – इसमें SMS OTP या PIN की कोई आवश्यकता नहीं होती। यानी अगर किसी के पास आपका आधार नंबर और अंगूठे का निशान है, तो वह आपके खाते से पैसा निकाल सकता है।
नकली अंगूठे का खेल – कैसे बनते हैं फर्जी फिंगरप्रिंट
अपराधी सबसे पहले किसी तरह से पीड़ित का फिंगरप्रिंट डेटा हासिल करते हैं। इसके लिए वे कई तरीके अपनाते हैं:
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जमीन और संपत्ति के कागज – रजिस्ट्री या सरकारी दस्तावेजों पर लगे अंगूठे के निशान स्कैन कर लिए जाते हैं।
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डेटा लीक – आधार एनरोलमेंट सेंटर या CSC ऑपरेटर की मिलीभगत से जानकारी बेची जाती है।
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सोशल ट्रिक – फर्जी योजना या स्कीम के नाम पर लोगों से अंगूठा लगवाया जाता है।
एक बार जब निशान हाथ लग जाए, तो इसे रबर, सिलिकॉन या रेजिन पर उतारकर नकली उंगली बनाई जाती है। यह नकली फिंगर AEPS डिवाइस पर लगाकर सिस्टम को धोखा दे देता है, और नकदी निकाल ली जाती है।
देशभर से सामने आए मामले
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बिहार और उत्तर प्रदेश – कई किसानों के खातों से हज़ारों रुपये एक ही दिन में निकल गए।
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कोलकाता – जमीन खरीद-बिक्री के दस्तावेजों से फिंगरप्रिंट चुराने वाले गैंग का भंडाफोड़।
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हैदराबाद – नकली अंगूठों से लाखों रुपये निकालने वाले साइबर नेटवर्क का पर्दाफाश।
सिर्फ AEPS ही नहीं, आधार से और भी हो रहे हैं फ्रॉड
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फर्जी बीमा क्लेम – दूसरे के आधार का इस्तेमाल कर नकली दावा दायर करना।
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फर्जी लोन – आधार और पैन का उपयोग कर बैंक या NBFC से लोन लेना।
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सिम और बैंक खाता खोलना – पहचान चुराकर नए कनेक्शन लेना।
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सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग – जैसे PM-Kisan की राशि चोरी करना।
क्यों हो रहा है इतना नुकसान?
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बायोमेट्रिक डेटा का सुरक्षित न रहना।
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AEPS में OTP सुरक्षा का न होना।
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डिजिटल जागरूकता की कमी, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
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भरोसे में आकर दस्तावेज़ों और अंगूठे का निशान दे देना।
कानूनी नजरिया
आधार अधिनियम 2016 और आईटी अधिनियम 2000 के तहत, किसी का बायोमेट्रिक गलत तरीके से इस्तेमाल करना संज्ञेय अपराध है। इसमें जेल और जुर्माना, दोनों हो सकते हैं।
UIDAI लगातार अपील कर रहा है कि –
“अपना आधार नंबर और बायोमेट्रिक किसी के साथ साझा न करें।”
खुद को कैसे सुरक्षित रखें
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बायोमेट्रिक लॉक करें – UIDAI वेबसाइट या mAadhaar ऐप से।
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ट्रांजैक्शन अलर्ट ऑन रखें – बैंक के SMS और ईमेल नोटिफिकेशन से हर लेन-देन पर नजर रखें।
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वर्चुअल आईडी का इस्तेमाल करें – असली आधार नंबर की जगह VID दें।
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अनजान जगह अंगूठा न लगाएं – कोई भी स्कीम या योजना पहले जांचें।
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शिकायत दर्ज करें – संदिग्ध लेन-देन होने पर तुरंत बैंक, UIDAI और साइबर क्राइम पोर्टल पर रिपोर्ट करें।
सरकार और बैंक क्या कर रहे हैं?
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UIDAI – लाइव फिंगर डिटेक्शन तकनीक लागू कर रहा है, ताकि नकली फिंगरप्रिंट पकड़े जा सकें।
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RBI – AEPS एजेंटों के लिए KYC और वेरिफिकेशन के नियम सख्त किए हैं।
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बैंक – फ्रॉड अलर्ट और जागरूकता अभियान चला रहे हैं।
अगर आपके साथ ऐसा हो जाए तो तुरंत ये कदम उठाएं
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बैंक से संपर्क कर खाते को अस्थायी रूप से फ्रीज़ कराएं।
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UIDAI हेल्पलाइन (1947) पर कॉल कर बायोमेट्रिक लॉक करें।
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राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (www.cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें।
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FIR करवाएं और बैंक से पैसा वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करें – RBI गाइडलाइन के अनुसार अगर आपकी गलती नहीं है, तो बैंक को राशि लौटानी होगी।
नतीजा – सतर्क रहना ही सबसे बड़ा हथियार
डिजिटल लेन-देन के फायदे अनगिनत हैं, लेकिन इनके साथ जुड़ा खतरा भी उतना ही बड़ा है। AEPS फ्रॉड यह साबित करता है कि तकनीक तभी सुरक्षित है, जब उसका उपयोग करने वाला व्यक्ति जागरूक हो।
अपने दस्तावेज़ों और व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा को हल्के में न लें। जहां तक हो सके, बायोमेट्रिक लॉक का इस्तेमाल करें और हर लेन-देन पर नज़र रखें।
याद रखिए – “सुविधा जितनी आसान, सतर्कता उतनी जरूरी”।